सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा महात्मा गांधी द्वारा लिखित उनकी जीवनी है। मूल गुजराती आत्मकथा का हिंदी अनुवाद श्री काशीनाथ त्रिवेदी जी ने किया है जिन्हें साबरमती आश्रम में कुछ समय तक गांधी जी की छाया में रहने का मौका मिला था और जो गांधी जी के जीवन काल में वर्षों तक हिंदी नवजीवन तथा हरिजन सेवक के हिंदी संपादन का कार्य कर चुके हैं अनुवाद को अधिक से अधिक प्रामाणिक बनाने तथा उसकी भाषा को भरसक सरल और सुबोध रखने का ध्यान रखा गया है I आशा है भारत की जनता अधिक से अधिक की संख्या में इस ग्रंथ का लाभ उठायेगी और इससे प्रेरणा पाकर स्वतंत्र भारत की सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ेगी। - प्रकाशक